उपभोक्ता मामलों में शिकायत कैसे करें ? परेशानियां जीवन का हिसा होती हैं, जीवन में परेशानियों का भी उतना अस्तित्व है, सांसों का... जीवन को सही और संतुलित तरीके से किया जाए तो हम बहुत सी मुसीबतों में पड़ने से बच सकते हैं... लेकिन कई बार लाख सावधानी के बाद भी हम समस्या में पड़ ही जाते हैं... ऐसे में हम अपने या दूसरों के अनुभव से परेशानी से बचकर निकल सकते हैं... या उस परेशानी की वजह से हुए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं या अपनी समझदारी से किसी भी गलत इंसान या संघठन को सबक सीखा सकते हैं... बाजारवाद के इस युग में हम ठगी से नहीं बच सकते... क्योंकि जरूरत का सामान खरीदना ही होगा, ऐसे में कंपनियां या दुकानदार किसी न किसी रूप में उपभोक्ता यानी कंज्यूमर से बदमाशी किए बिना नहीं रहेगी... आज हम इस बात को समझने की कोशिश करेंगे कि कंपनी या दुकानदार से हुई ठगी का मुहावजा या उसे सबक कैसे सीखा सकते हैं...! सबसे पहले कुछ सामान्य बातों को समझ लेते हैं, जैसे हम लोग बाजार से या ऑनलाइन प्लेटफार्म से कुछ ना कुछ खरीदते ही रहते हैं... जैसे ही हम कोई वस्तु कहीं से खरीदते हैं, हम ग्राहक या कंज्यूमर बन जाते हैं
कॉपीराइट कानून क्या है ? मेहनत कोई और करे और उसका लाभ किसी और को मिले... ऐसे मामले में मेहनत करने वाले के साथ अन्याय होता है, जिसको या तो समाज न्याय करता है या फिर उस देश का कानून... मेहनत कई प्रकार की होती है, शारीरिक मेहनत को आम जीवन में ज्यादा तवज्जो दी जाती है, लेकिन उस मेहनत की भूमिका वास्तव में व्यक्ति के मस्तिष्क में तैयार होती है... मेहनत का परिणाम कोई निर्माण हो सकता है, कोई संगीत हो सकता है, कोई पुस्तक हो सकती है... या फिर कोई अविष्कार हो सकता है... ऐसी चीजों होने वाली आय पर पहला अधिकार उनके रचनाकार का होता है... अगर कोई रचनाकार की सहमति के बिना उसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करता है तो ये एक प्रकार का क्राइम होता है... इस क्राइम को रोकने के लिए ही कॉपीराइट कानून बनाया गया है... आज हम भारत और विश्व में कॉपीराइट कानून के विषय में जानेंगे... कॉपीराइट कानून के विषय में इस प्रकार समझा जा सकता है... जब भी कोई व्यक्ति अपने दिमाग में आए विचार को किसी अनोखी रचना का रूप देता है, ऐसी खोज करने से वह व्यक्ति रचनाकार या खोजकर्ता या उसका जन्मदाता माना जाता है, उस रचना पर पहला